मौके पर नहीं है पौधे व गड्ढे फिर भी निकाल ली राशि
*पंकज पाराशर छतरपुर*
बुंदेलखंड में जबरदस्त भ्रष्टाचार, पन्ना टाइगर रिजर्व के अंतर्गत छतरपुर जिले से किशनगढ़ रेंज में पौधरोपण के नाम पर घोटाला किया गया है। किशनगढ़ रेंज की भौरखुआं बीट में 1 करोड़ 88 लाख रुपए की लागत से पौधरोपण का काम कराया जा रहा है। यहां 90 हैक्टेयर जमीन पर 40 हजार पौधरोपण किया जाना था, लेकिन मौके पर न तो इतने गड्ढे़ हैं और न ही पौधे लगाए गए हैं। रेंजर ने पीटीआर के अधिकारियों से मिलीभगत करके गड्ढा खनन, मजदूरी, पौधा खरीदी, सिंचाई के लिए टेंकर से पानी परिवहन, रखवाली के बिल लगाकर राशि निकाल ली है, लेकिन मौके पर 40 हजार पौधे तैयार ही नहीं है। मजे की बात यह है कि जहां यह प्रोधरोपण किया गया है, वह केन बेतवा लिंक प्रोजेक्ट का डूब क्षेत्र है। डूब क्षेत्र में राशि खर्च करने पर ही रोक है। इसके बावजूद राशि ठिकाने लगाई जा रही है।
पन्ना टाइगर रिजर्व के बफर जोन में छतरपुर जिले की सीमा में किशनगढ़ रेंज है। किशनगढ़ रेंज के तहत भौरखुवां बीट के तहत कक्ष क्रमांक पी-523 ए में पौध रोपण का प्रोजेक्ट स्वीकृत किया गया है। वर्ष 2021-2022 में 90 हैक्टेयर क्षेत्र में 40 हजार पौधों का रोपण करने के लिए प्रोजेक्ट स्वीकृत किया गया है। इस प्रोजेक्ट पर प्रति हैक्टेयर 2 लाख 9 हजार 851 रुपए खर्च करने के लिए मंजूर किए गए हैं। 90 हैक्टेयर क्षेत्र में कुल 1 करोड़ 88 लाख 86 हजार 560 रुपए खर्च करके पौधे तैयार किए गए हैं।
*भौरखुवां गांव हो रहा विस्थापित*
केन बेतवा लिंक प्रोजेक्ट के डूब क्षेत्र में आने के कारण प्रशासन भौरखुवां गांव में विस्थापित कर रहा है। विस्थापन के लिए ग्रामीणों को मुआवजा वितरण भी कर दिया गया है। भौरखुवां बीट के कक्ष क्रमांक पी-523 ए की जमीन भी डूब क्षेत्र में जा रही है। पन्ना टाइगर रिजर्व ने इस वनभूमि के एवज में केन-बेतवा लिंक परियोजना प्राधिकरण से क्षतिपूर्ति भी क्लेम की है। दूसरी ओर पन्ना टाइगर रिजर्व खुद डूब क्षेत्र की जमीन पर करोड़ों रुपए का बंदरबांट किया जा रहा है।
1. 27 करोड़ रुपए निकाल लिए गए….
यह प्रोजेक्ट वर्ष 2021-22 में मंजूर किया गया है। इसे 2031-32 में पूरा होना है। प्रोजेक्ट के तहत पहले साल 55 लाख, दूसरे साल 51 लाख 13 हजार और तीसर साल 21 लाख 45 हजार रुपए खर्च किए जाना थे। तीन सालों के लिए स्वीकृत 1 करोड़ 27 लाख 58 हजार रुपए की राशि आहरण कर लिया गया है। मौके पर कोई पौध रोपण ही नहीं किया गया है।
*कियोस्क संचालक की मिली भगत से हुई गड़बड़ी*
वन विभाग के नियमानुसार सारी राशि मजदूर और बेंडर के खातों में ऑनलाइन हस्तांतरित की जाना चाहिए। इस कारण सारे भुगतान किशनगढ़ के कियोस्क संचालक के यहां संचालित हो रहे खातों में पहले ऑनलाइन राशि हस्तांतरित की गई। फिर कियोस्क संचालक ने खातों से राशि निकालकर वन विभाग के अधिकारियों को नगदी के रूप में वापस कर दी है। इस अवैध भुगतान प्रक्रिया के एवज में कियोस्क संचालक ने भी कमीशन लिया है।
*रेंजर स्थानांतरण के बावजूद 8 माह से रिलीव नहीं*
किशनगढ़ रेंज में पदस्थ रेंजर अरविंद केन का सितंबर 2023 में स्थानांतरण हो गया था। अपर सचिव मंप्र शासन वन विभाग के 8 सितंबर 2023 को जारी आदेश में अरविंद का तबादला कार्य आयोजना इकाई छतरपुर कर दिया गया है। कार्य आयोजना इकाई छतरपुर में रेंजर की कमी है। वनसंरक्षक अजय पांडेय ने रेंजर की कमी का हवाला देकर अपर प्रधान मुख्यालय वनसंरक्षक और पीटीआर प्रबंधन को पत्र लिखकर रेंजर को रिलीव करने की मांग कर चुके हैं। इसके बावजूद अरविंद केन को रिलीव नहीं किया जा रहा है।
इनका कहना है-
आप मुझे उक्त मामले की विस्तृत जानकारी से अवगत कराए, मैं गंभीरता पूर्वक जांच कर कार्रवाई करूंगाl
नागर सिंह चौहान कैबिनेट मंत्री: वन, मध्य प्रदेश शासन