प्रतीक पाठक
नर्मदापुरम।
नगर पालिका में प्रधानमंत्री आवास को लेकर लगभग 3 करोड़ से अधिक घोटाला हुआ था।
अब नगर पालिका द्वारा लगभग 100 हितग्राहियों के खाते सील कर दिए गए हैं। इसमें कुछ पात्र लोग भी हैं जिनसे भी राशि वसूली जा रही है, जबकि नियम के अनुसार उन्हें राशि दी गई है । सवाल इस बात का है कि हितग्राहियों के खाते में पैसे डाले गए और अधिक राशि डाली गई । किसके कहने से डाले, कौन ने डाले यह जांच का विषय है । इस पूरे मामले की जांच भी हुई है। जांच में लगभग आधे दर्जन से अधिक अधिकारी कर्मचारी के अलावा भाजपा नेता और तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष पूर्णतया दोषी हैं । इस पूरे मामले को बचाने के लिए एड़ी जोड़ी का जोर लग रहा है। इसलिए अधिकारी वर्मा को यहां पदस्थ किया गया है, ताकि वह यह पूरे मामले को और स्वयं अपने सिर पर लगा दाग को मिटा सकें। इस मामले में 845 हितग्राहियों के लिए कलेक्टर से अनुमोदन लेना आवश्यक था, लेकिन कलेक्टर के बिना अनुमोदन के ही अधिकारियों को लाभ दे दिया गया। यह कारनामा अधिकारी रमेश चंद वर्मा ने किया है। इस पूरे मामले का मास्टरमाइंड जो कि खुद प्रधानमंत्री आवास घोटाले में दोषी है, नगर पालिका ने उसे फिर से प्रधानमंत्री आवास योजना का चार्ज दे दिया है जबकि नियम के अनुसार जिस व्यक्ति की जांच पड़ताल चल रही है उसे यह विभाग नहीं देना चाहिए। लेकिन अधिकारी अफसर की मिलीभगत से जांच में आंच ना आए इसके चक्कर में और इस मामले को पूरा रफा दफा करने के लिए उन्हें फिर इस योजना का चार्ज दे दिया गया है । अब नगर पालिका में हर काम अधिकारी वर्मा से पूछ कर किया जा रहा है।
बन रही है नई फाइलें, पात्र से भी वसूल रहे राशि
बताया जाता है कि इस मामले में कुछ नई फाइलें भी बनाई जा रही हैं। रमेश वर्मा इस मामले में पूर्ण रूप से दोषी है। बता दें कि प्रधानमंत्री आवास मामले में 845 हितग्राहियों को इसका लाभ दिया गया था। उनके खाते में राशि डाली गई है । बताया जाता है कि इसमें से भी कुछ ऐसे लोग हैं जो पात्र हैं उनसे भी राशि वसूली की जा रही है और उनके खाते सील कर दिए गए हैं । इस मामले में लगभग सौ गरीब हितग्राहियों के खाते सील कर दिए गए हैं और उनसे पैसे वसूले जा रहे हैं , जबकि अपराध छुपाने के लिए जांच में आंच न आए इसलिए हितग्राहियों के खाते सील कर दिए गए हैं और उनसे पैसे वसूले जा रहे हैं जबकि हितग्राहियों का कोई दोष नहीं । इसमें पूरी तरह दोषी अधिकारी हैं । इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड रमेश चंद वर्मा है। उसे जानबूझकर नर्मदापुरम में पदस्थ कर दिया गया है जिससे प्रधानमंत्री आवास में हुए करोड़ों के घोटाले को दबा दिया जाए और वर्मा का अपने सर से दाग मिट जाए ।
जिस अफसर की जांच चल रही है उसे नहीं बनाया जा सकता प्रभारी
इस मामले में उन्हें फिर से प्रधानमंत्री आवास योजना का प्रभार दिया गया है जबकि यह नियम के विपरीत है। नियम के अनुसार जिस व्यक्ति की जांच पड़ताल चल रही है उसे इस योजना का प्रभारी नहीं बनाया जा सकता।गरीब हितग्राहियों से पैसे वसूले जा रहे हैं जबकि इस मामले में अधिकारी अफसर से ही वसूली की जाना चाहिए था। उनकी लापरवाही के कारण ही यह घोटाला हुआ है। इन दिनों नगर पालिका में कुछ दस्तावेज भी इधर-उधर कर दिए हैं और कुछ नई फाइल अभी बनाने की सूचना मिली है जिससे कि इस मामले में लीपापोती की जा सके । बता दें कि विधानसभा में भी यह मामला उठाया गया था लेकिन भाजपा के नेता कुछ अधिकारियों शामिल होने से इस मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है।