रायपुर। संभवनाथ जैन मंदिर विवेकानंद नगर में जारी आत्मोल्लास चातुर्मास 2024 की प्रवचन माला में कल्पसूत्र का वांचन जारी है। शुक्रवार को तपस्वी मुनिश्री प्रियदर्शी विजयजी म.सा. ने कहा कि परमात्मा की स्नात्र पूजा का दिन में तीन-चार बार पाठ करना चाहिए। इससे जीवन में से संक्लेष मानसिक तनाव दूर हो जाता है। स्नात्र पूजा का पाठ नियमतः दिन में तीन बार अवश्य करना चाहिए। आज के भागमभाग भरे जीवन में व्यक्ति अत्यधिक तनाव में रहता है। अपने तनाव को दूर करने के लिए यदि वह भगवान की भक्ति में ध्यान लगाए तो मन को शांति प्राप्त होती है। इसलिए मानसिक तनाव मुक्ति के लिए स्नात्र पूजा का पाठ दिन में तीन से चार बार अवश्य करना चाहिए।
मुनिश्री ने कहा कि पार्श्वनाथ भगवान और महावीर स्वामी भगवान के बीच में बहुत ही समानता देखने को मिलती है। पार्श्वनाथ भगवान की 10 भव की परंपरा चली तो भगवान महावीर स्वामी की 27 भव की परंपरा चली। दोनों का जीव सम्यक्त्व प्राप्ति के बाद त्रियंच गति में गया। कभी भी तीर्थंकर को बौद्धित होने के लिए किसी निमित्त की आवश्यकता नहीं होती,परंतु पूरी चौबीसी के अंदर दो तीर्थंकर ऐसे हैं जिन्हें निमित्त मिला और उन्होंने संसार त्याग करने का संकल्प कर लिया। एक तो पार्श्वनाथ भगवान जिन्हें नेमिनाथ भगवान का चित्र देखते देखते उन्हें वैराग्य प्रबल हुआ और निमित्त मिलते ही उन्होंने दीक्षा लेने का संकल्प कर लिया और संयम स्वीकारा।