प्रतीक पाठक नर्मदापुरम –
शहर में भारतीय जनता पार्टी द्वारा कल जिले में मंडल अध्यक्षों की रायशुमारी होगी। बता दें कि जिले में 22 मंडल अध्यक्ष हैं। मंडल अध्यक्ष जिनका कार्यकाल 3 साल रहता है। लेकिन 6 साल मंडल अध्यक्ष के रहने से और एक ही व्यक्ति को दो-दो तीन-तीन बार बनाने से अन्य कार्यकर्ताओं में उपेक्षा रहती है। उन्हें मौका नहीं मिलने से वह निराश है। जिले में कल भाजपा कार्यालय में मंडल अध्यक्षों की रायशुमारी होगी । सब अपनी-अपनी बात रखेंगे। मालूम हो कि कुछ मंडल अध्यक्ष फिर से मंडल अध्यक्ष बनने की जुगत में हैं लेकिन इस बार उनकी गोटी बैठ नहीं पाएगी। प्रदेश संगठन का सख्त कहना है कि जो मंडल अध्यक्ष का कार्यकाल 3 वर्ष रहता है वह 6 सालों से मंडल अध्यक्ष बने हैं ऐसे मंडल अध्यक्ष को दोबारा मौका नहीं दिया जाएगा। संगठन की गाइडलाइन है कि हर कार्यकर्ता को मौका मिलना चाहिए। जो मंडल अध्यक्ष अभी वर्तमान में हैं उन्हें तत्काल हटाकर नए मंडलों अध्यक्षों की घोषणा की जाएगी । जो अपनी दावेदारी कर रहे हैं वह दावेदारी तो कर सकते हैं लेकिन जिन मंडल अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा हो गया है उन्हें दोबारा मौका नहीं मिलेगा। संगठन की गाइडलाइन के अनुसार यह लोग बाहर हैं । कुछ कार्यकर्ताओं का कहना है कि जिले में कई भाजपा मंडल अध्यक्ष ऐसे हैं जिनका कार्यकाल पूर्ण हो गया है। तीसरी बार मंडल अध्यक्ष बनने कार्यकर्ताओं को मौका नहीं मिलेगा।
जिले में कुछ मंडल अध्यक्षों ने वरिष्ठ के शुरू कर दिए परिक्रमा
जिले में कुछ मंडल अध्यक्ष अभी से दोबारा बनने के लिए विधायक, सांसद और राज्यसभा सदस्य, जिला अध्यक्ष के परिक्रमा लगाना चालू कर दिया है। ऐसे कई मंडल अध्यक्ष हैं तीसरी बार फिर बनने की जुगाड़ में है इसलिए वह विधायक, सांसदों की परिक्रमा करने के लिए अभी से जुट गए हैं। कुछ मंडल अध्यक्ष संदिग्ध गतिविधियों में भी है । जिनकी संगठन तक शिकायत भी पहुंची है। बता दें कि कुछ मंडल अध्यक्ष ऐसे हैं सांसद विधायकों की आड़ में कई संदिग्ध गतिविधियां को बढ़ावा देते हैं। जिसके कारण क्षेत्र के विधायक और जनप्रतिनिधि बदनाम होते हैं । ऐसे कुछ मंडल अध्यक्ष की शिकायत संगठन तक पहुंची है , जो कई ऐसे अनैतिक कार्यों में लिप्त हैं । ऐसे कार्यकर्ताओं से आगामी विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। कई विधानसभा सीटों पर वोट का अंतर और प्रतिशत भी गत वर्ष की अपेक्षा काम रहा है और कुछ मंडल अध्यक्ष के वार्ड में भी स्थानीय जनप्रतिनिधि को हार का सामना देखना पड़ा है।
कुछ मंडल अध्यक्ष अवैध कार्यों में भी लिप्त
बता दें कि जिले में कुछ मंडल अध्यक्ष ऐसे संदिग्ध है कि जिनका कारोबार रेत माफिया, सटोरिया के अलावा कई शराब माफिया से भी है । बारीकी से जांच पड़ताल की जाए तो कई मंडल अध्यक्षों के मोबाइल पर शराब माफियाओं , सटोरियों से बातचीत का डाटा भी देखा जा सकता है । यह कुछ नेताओं को नाम लेकर कारोबारी से अच्छी खासी रकम भी लेते हैं । इस मामले को लेकर भी कुछ दिन पहले संगठन में यह शिकायत की जा चुकी है । वैसे भी इन मंडल अध्यक्षों का कार्यकाल 3 की जगह 6-7 साल हो चुका है। ऐसे मंडल अध्यक्षों को यदि भाजपा और संगठन दोबारा देती है तो शायद आगामी विधानसभा चुनाव में जिले की चारों विधानसभा में अलग ही परिणाम देखने को मिल सकते हैं। नर्मदा पुरम विधानसभा क्षेत्र में पांच मंडल अध्यक्ष हैं जिसमें कुछ मंडल अध्यक्ष ऐसे हैं जिनका कार्यकाल पहले ही खत्म हो गया। इसके बाद भी अभी भी वह अपने आप को मंडल अध्यक्ष मानकर चल रहे हैं। पार्टी ने किसी भी क्षेत्र के मंडल अध्यक्ष में ब्राह्मण वर्ग को मौका नहीं दिया गया है । इसे ब्राह्मण वर्ग स्थानीय जनप्रतिनिधि और संगठन से भी नाराज है। मंडल अध्यक्ष के चुनाव में क्या संगठन या स्थानीय जनप्रतिनिधि दिल्ली अपनी बात रखते हैं या नहीं।
पुराने मंडल अध्यक्षों को नहीं मिलेगा मौका
संगठन की गाइडलाइन से नए युवाओं को मौका दिया जाएगा। संगठन की गाइडलाइन है कि जिसकी सभी स्वच्छ अच्छी हो और संगठन में काम करने की हो ऐसी गाइडलाइन के अनुसार मंडल अध्यक्ष को चयन किया जाएगा। 13 साल से किसी ब्राह्मण वर्ग को नर्मदापुरम का मंडल अध्यक्ष नहीं बनाया इसलिए ब्राह्मण वर्ग नाराजगी है ।