राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) की शक्तियां बढ़ा दी हैं। अब LG राजधानी में अथॉरिटी, बोर्ड, कमीशन या वैधानिक निकाय का गठन कर सकेंगे। इसके अलावा वे इन सभी बॉडीज में मेंबर्स की नियुक्ति भी कर सकेंगे।
इससे पहले यह अधिकार दिल्ली सरकार के पास थे। गृह मंत्रालय ने मंगलवार (3 सितंबर) देर रात LG की शक्तियां बढ़ाने से जुड़ा नोटिफिकेशन जारी किया। मंत्रालय ने बताया कि यह फैसला राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 के तहत लिया गया है।
LG की पावर बढ़ते ही पीठासीन अधिकारी नियुक्त किए गए
केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद दिल्ली नगर निगम (MCD) की 12 वार्ड समितियों के चुनाव आज ही होंगे। उपराज्यपाल वीके सक्सेना के निर्देश पर MCD के आयुक्त अश्वनी कुमार ने सभी वार्ड समितियों के चुनाव कराने के लिए पीठासीन अधिकारी नियुक्त कर दिए। उन्होंने MCD के सभी जोन के उपायुक्तों को पीठासीन अधिकारी बनाया है।
इससे पहले मेयर शैली ओबेरॉय ने वार्ड समितियों की चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए पीठासीन अधिकारी नियुक्त करने से इनकार कर दिया था। इस बीच केंद्र सरकार ने उपराज्यपाल को पीठासीन अधिकारी नियुक्त करने का अधिकार दे दिया।
दरअसल, चुनाव कराने के लिए 30 अगस्त को नामांकन पत्र भरने की प्रक्रिया खत्म हुई थी। MCD कमिश्नर अश्विनी कुमार ने पीठासीन अधिकारी नियुक्त करने के लिए फाइल भेजी थी, लेकिन मेयर शैली ओबेरॉय ने नियुक्ति करने से इनकार कर दिया था।
MCD में सीधे पार्षद नियुक्त कर सकते हैं LG
दिल्ली के उपराज्यपाल MCD में सीधे पार्षद नियुक्त कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें दिल्ली सरकार से सलाह लेना जरूरी नहीं है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में था। 5 अगस्त को कोर्ट ने कहा कि दिल्ली नगर निगम में 10 मेंबर नॉमिनेट करने के उपराज्यपाल (LG) के फैसले को मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह की आवश्यकता नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने उपराज्यपाल के 10 एल्डरमैन नियुक्त करने के फैसले को बरकरार रखा था। दरअसल, LG विनय कुमार सक्सेना की ओर से इस साल 1 और 4 जनवरी को ऑर्डर और नोटिफिकेशन जारी करके 10 एल्डरमैन (मेंबर) की नियुक्ति की गई थी। इसके खिलाफ दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी।
AAP ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर असहमति जताई थी
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लोकतंत्र और संविधान के लिए बड़ा झटका बताया था। उन्होंने फैसले पर अपनी असहमति व्यक्त करते हुए कहा है कि कोर्ट का फैसला मामले की सुनवाई से एक दम उलट है। सांसद ने कहा था कि दिल्ली को अन्य राज्यों की तरह ये अधिकार मिलना चाहिए।