सागर जिले के बण्डा क्षेत्र के एक छोटे से गाँव में उस दिन कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरी सोच बदल दी। जहाँ एक तरफ़ ढोल-नगाड़े और बारात की तैयारी चल रही थी, वहीं दूसरी तरफ़ पुलिस की जीप गाँव में पहुँचते ही माहौल थम गया। मामला था बाल विवाह का।17 वर्षीय रामू, जो डॉक्टर बनने का सपना देखता था, की शादी 14 वर्षीय कुसुम से तय कर दी गई थी। समाज का दबाव था कि “अब लड़का बड़ा हो गया है, शादी कर दो।” लेकिन दोस्तों में से एक ने हिम्मत दिखाई और चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 पर सूचना दी। कुछ ही देर में विशेष किशोर पुलिस इकाई की प्रभारी अधिकारी ज्योति तिवारी अपनी टीम के साथ मौके पर पहुँचीं। उन्होंने शांत लेकिन दृढ़ आवाज़ में कहा — “यह विवाह कानूनन अपराध है।”शुरुआत में विरोध हुआ, लेकिन ज्योति तिवारी ने न केवल कानून समझाया बल्कि परिवार को बच्चों के भविष्य की अहमियत भी बताई। आखिरकार दोनों परिवारों ने लिखित प्रतिज्ञा दी कि वे बच्चों की शादी तभी करेंगे जब वे वयस्क हो जाएंगे।इसी तरह, गौरझामर गाँव की 16 वर्षीय राधा की कहानी ने भी लोगों को सोचने पर मजबूर किया। जब उसकी शादी तय की गई, तो उसने खुद 1098 पर कॉल किया। ज्योति तिवारी फिर से टीम लेकर पहुँचीं। राधा की माँ ने भावुक होकर कहा — “दादी की आखिरी इच्छा है कि पोती की शादी देख लें।” लेकिन ज्योति तिवारी ने बड़ी संवेदनशीलता से कहा, “आज बेटी को पढ़ने दो, कल वही तुम्हारा मान बढ़ाएगी।” परिवार मान गया और शादी रुकवा दी गई।इन घटनाओं के बाद ज्योति तिवारी ने महिला एवं बाल विकास विभाग और शिक्षा विभाग के साथ मिलकर “बाल विवाह रोकथाम एवं शिक्षा प्रोत्साहन अभियान” शुरू किया। अब सागर जिले के कई गाँवों में हर महीने जागरूकता सत्र होते हैं।गाँवों में लोग अब उन्हें “बेटियों की प्रहरी” कहकर बुलाते हैं। उनकी पहल ने दिखा दिया कि जब कानून सख्ती के साथ संवेदनशीलता से काम करता है, तो समाज में असली बदलाव संभव होता है।
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