मार्च में सैकड़ों नए उद्यमी नोएडा में जमा हुए थे. वो यहां तीन दिनों के एक सम्मेलन में हिस्सा लेने आए थे, जिसे ‘स्टार्ट-अप कंपनियों के लिए दुनिया का सबसे बड़ा फंडिंग कार्यक्रम’ कहकर प्रचारित किया गया था.
इस सम्मेलन (वर्ल्ड स्टार्ट-अप कन्वेंशन) में आए नई स्टार्ट-अप कंपनियों के संस्थापक, बड़े कारोबारियों से मिलने की उम्मीद में बहुत उत्साहित थे. उन्हें लग रहा था कि जब इन कारोबारियों के सामने उन्हें 15 मिनट तक अपनी कंपनी के बारे में बताने का मौक़ा मिलेगा, तो इससे वो अपनी कारोबार के विस्तार के लिए पूंजी जुटा सकेंगे.
साल 2021 और 2022 के ज़्यादातर वक़्त में भारत के स्टार्ट-अप इकोसिस्टम में पैसों की भरमार थी.
इन कंपनियों ने अपने कारोबार के लिए रिकॉर्ड मात्रा में पूंजी जुटाई थी, जिससे कई कंपनियां यूनिकॉर्न (जिनका बाज़ार मूल्य एक अरब डॉलर हो) बन गईं, और उनकी शुरुआत करने वाले उद्यमी रातों-रात करोड़पति बन गए.
लेकिन, दुनिया की अर्थव्यवस्था में आ रही सुस्ती को देखते हुए इन कंपनियों में पैसे लगाने वाले निवेशक ज़्यादा चौकस हो गए, और स्टार्ट-अप कंपनियों के लिए पूंजी जुटाना मुश्किल हो गया.