सरकारी स्कूलों के निरीक्षण की हकीकत, समस्या और सुविधाओं की बजाए पूछे जा रहे ऊल जलूल सवाल

कलेक्टर के निर्देश पर हो रहा निरीक्षण
प्रतीक पाठक नर्मदा पुरम –
शासकीय स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने, स्कूलों में पेयजल, शौचालय, खाने की गुणवत्ता , शिक्षकों की कमी, उनके आने जाने का समय और अन्य शैक्षणिक सामग्री कमी या उपलब्धता जांचने के लिए कलेक्टर के निर्देश  पर निरीक्षण किया जा रहा है। कई स्कूलों में यह निरीक्षण केवल औपचारिकता बन गया है। स्कूलों की सुविधाएं और समस्या जानने की बजाए निरीक्षणकर्ता अधिकारी बच्चों से फिजूल के सवाल पूछे रहे हैं जिससे बच्चे असहज महसूस करते हैं।  मूलभूत समस्या , शिक्षकों की कमी, स्कूल का रखरखाव के अलावा छात्रों से संवाद, शिक्षकों की उपस्थिति, बच्चों की उपस्थिति  से संबंधित पूछते हैं । छात्रों के शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार के प्रयास, अन्य समस्याओं से स्कूल प्रबंधक और स्कूल के शिक्षकों से बातचीत की जाना चाहिए । शासकीय कन्या जुमेराती स्कूल में निरीक्षण के लिए जिला कलेक्टर कार्यालय में अधीनस्थ एक महिला अधिकारी महिला को निरीक्षण के लिए भेजा जिन्होंने स्कूल की कमियां और सुविधाओं की बजाए बच्चे से ऊल जलुल सवाल पूछ डाले।
महिलाओं के त्यौहार कौन है और कब मनाए जाते हैं। अधिकारी द्वारा यह पूछा जाता है कि शिक्षक कहां है, कौन से विषय के हैं , कब आते हैं कब जाते हैं और शौचालय साफ सफाई कौन करता है।  कौन सा त्यौहार कब मनाया जाता है,  करवा चौथ कब है, इस तरह के सवाल किए जाते हैं ।

नवरात्रि में भी निरीक्षण के दौरान पूछे अजीब सवाल
स्कूल के उपस्थित शिक्षकों से पूछा कि आज शिक्षकों की उपस्थिति कम क्यों है तो शिक्षिकाओं ने कहा कि हरितालिका तीज का व्रत है। रात भर महिलाएं व्रत रखती हैं और फिर इसके बाद वह अपना उपवास व्रत तोड़ती हैं। अधिकारी पूछती हैं कि हरतालिका व्रत क्या होता है, इधर शिक्षिका ने उन्हें जवाब दिया कि आप खुद महिलाएं हैं क्या आपको नहीं मालूम कि हरतालिका व्रत क्यों और कब किया जाता है। इस प्रकार के फिजूल प्रकार की बातें स्कूल में जाकर पूछी जाती हैं। नवरात्रि का समय था।   अष्टमी और नवमीं की पूजन भी होती है इसलिए बच्चों की संख्या कम हो जाती है ।

सवाल किया पूजा और व्रत करने से क्या होता है
निरीक्षण के दिन अष्टमी नौवीं थी, घर में पूजा पाठ आदि के चलते बच्चों की उपस्थिति कम इस पर मैडम का कहना था कि व्रत से क्या होगा। निरीक्षण का काम अधिकारियों का होता है कि स्कूल की व्यवस्था देखें शिक्षकों की बच्चों की गुणवत्ता,  स्कूल का मेंटेनेंस बच्चों की बौद्धिक विकास संबंधित ऐसे कई सुधार पर प्रशासन ने सभी  शालाओं में निरीक्षण के लिए अधिकारियों को भेजा है लेकिन उक्त अधिकारी फिजूल की बातें कर समय खराब करके प्रबंधन और स्कूल में पढ़ने वाले शिक्षकों से बेतुके सवाल जवाब  किया जा रहा है ।  धमकी दी गई है कि मैं जिला प्रशासन को निरीक्षण की रिपोर्ट भेजूंगी जिसमें स्कूल की खामियां रहेंगी कि शिक्षक नहीं आते हैं, बच्चे त्योहार पर नहीं आते हैं ।इस प्रकार की बातों को तूल दिया जा रहा है। पांच बार स्कूल का निरीक्षण कर चुकीं हैं लेकिन  संतुष्ट जवाब न देकर उल्टा यह कहा जा रहा है कि मैं  अव्यवस्थाओं, साफ सफाई नहीं होती है यह कहूंगी। स्कूल की साफ सफाई का जुम्मा प्रबंधक का तो रहता ही है प्रबंधक करवाता भी है, लेकिन कुछ ऐसी जगह है जहां सीमा नगर पालिका के अंतर्गत आता है जिसकी साफ सफाई का जिम्मा नगर पालिका का रहता है।

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