निषादराज ने पखारे प्रभु श्रीराम के पांव, पार कराई गंगा

प्रतीक पाठक, नर्मदापुरम

अयोध्या में भगवान रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा पूर्व जिले में श्रीरामकथा के विशिष्ट चरितों आधारित ‘श्रीलीला समारोह’ का आयोजन किया जा रहा है। मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग एवं जिला प्रशासन के सहयोग से जिले के पावन सेठानी घाट पर श्रीरामचरित लीला समारोह में रविवार को निषादराज कथा का मंचन किया गया। जिसे देखने बढ़ी संख्या में लोग उपस्थित रहें। कार्यक्रम का निर्देशन बैतूल के राकेश वरवडे और उनकी टीम ने किया है। इस अवसर पर विधायक डॉ सीतासरन शर्मा, नगर पालिका अध्यक्ष नर्मदापुरम नीतू महेंद्र यादव, जनपद अध्यक्ष भूपेंद्र चौकसे एवं अन्य जनप्रतिनिधि और बढ़ी संख्या में लोग उपस्थित रहें।

लीला नाट्य निषादराज गुह्य में बताया कि भगवान राम ने वन यात्रा में निषादराज से भेंट की। भगवान राम से निषाद अपने राज्य जाने के लिए कहते हैं लेकिन भगवान राम वनवास में 14 वर्ष बिताने की बात कहकर राज्य जाने से मना कर देते हैं। आगे के दृश्य गंगा तट पर भगवान राम केवट से गंगा पार पहुंचाने का आग्रह करते हैं लेकिन केवट बिना पांव पखारे उन्हें नाव पर बैठाने से इंकार कर देता है। केवट की प्रेम वाणी सुन, आज्ञा पाकर गंगाजल से केवट पांव पखारते हैं। नदी पार उतारने पर केवट राम से उतराई लेने से इंकार कर देते हैं। कहते हैं कि हे प्रभु हम एक जात के हैं मैं गंगा पार कराता हूं और आप भवसागर से पार कराते हैं इसलिए उतरवाई नहीं लूंगा। लीला के अगले दृश्यों में भगवान राम चित्रकूट होते हुए पंचवटी पहुंचते हैं। सूत्रधार के माध्यम से कथा आगे बढ़ती है। रावण वध के बाद श्री राम अयोध्या लौटते हैं और उनका राज्याभिषेक होता है। लीला नाट्य में श्री राम और वनवासियों के परस्पर सम्बन्ध को उजागर किया गया।

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