
सिवनी मालवा से पवन जाट की रिपोर्ट
सिवनी मालवा। खुटवासा पंचायत के अंतर्गत आने वाले ग्राम धामनी के किसानों की हालत आज किसी संघर्ष से कम नहीं है। लगातार बारिश से खेतों तक जाने वाले रास्ते कीचड़ में बदल गए हैं। हार्वेस्टर खेतों तक नहीं पहुंच पा रहे, जिससे सैकड़ों एकड़ धान की फसल कटने से पहले ही खराब होने का खतरा मंडरा रहा है।किसान पिछले 20 साल से धामनी से हिरणखेड़ा तक सड़क बनने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन अब तक काम अधूरा ही पड़ा है। हर चुनाव में वादे हुए, पर विकास कागजों तक सीमित रहा। इस बार जब हालात बिगड़े, तो किसानों ने खुद फावड़ा और ईंट उठाकर सड़क सुधारने की जिम्मेदारी ले ली।गांव के किसान अशोक सिंह, बंटी लोवंशी, सुदेश बुंदेला, मनोज सराठे, सुधीर बुंदेला, रामजीवन सिंह, संजय सिंह, दौलत सिंह, वीरेंद्र गौर, शिवा बुंदेला, विनोद राजपूत, सॉटी राजपूत, निखिल राजपूत, अशोक राजपूत डोलरिया, आदेश गौर, राकेश बुंदेला, सुनील राजपूत, संतोष सराठे, रामसरुप लोवंशी, चंदन सिंह, राघववीर सिंह और निखिल बुंदेला ने बताया कि बार-बार मांग करने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुई।किसानों ने बताया कि इस समस्या की जानकारी कई बार विधायक प्रेमशंकर वर्मा, जिला पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि सुधीर गोर और प्रशासनिक अधिकारियों को दी गई, लेकिन आज तक सड़क निर्माण का काम शुरू नहीं हुआ।किसानों ने कहा हमने उम्मीद की थी कि जनप्रतिनिधि हमारी आवाज बनेंगे, लेकिन अब हमें अपनी लड़ाई खुद लड़नी पड़ रही है। अगर रास्ता नहीं बनेगा तो फसलें बर्बाद हो जाएंगी।लगभग 200 एकड़ से ज्यादा क्षेत्र की फसल इस स्थिति से प्रभावित है। जगह-जगह पानी भर जाने और कीचड़ जमने से हार्वेस्टर बार-बार फंस जाता है। सोमवार को भी एक हार्वेस्टर रास्ते में धंस गया, जिसे निकालने के लिए चार ट्रैक्टर लगाने पड़े।धामनी के लोगों का कहना है कि विकास के वादे अब केवल भाषणों में रह गए हैं, जबकि जमीनी सच्चाई यह है कि किसान अपनी मेहनत और फसल दोनों को बचाने के लिए जूझ रहा है।गांव के बुजुर्ग किसान ने कहा 20 साल से सड़क अधूरी है, सरकारें बदलीं पर हालात नहीं। हमें अब बस इतना चाहिए कि हमारे खेत तक जाने वाला रास्ता बन जाए, ताकि हमारी मेहनत बर्बाद न हो।धामनी का यह संघर्ष सिर्फ एक गांव की कहानी नहीं, बल्कि उन तमाम किसानों की आवाज है जो सरकार और सिस्टम के भरोसे सालों से इंतजार कर रहे हैं।