कल 10 जुलाई दिन गुरुवार के दुर्लभ और शुभ संयोग में मनेगी गुरु पूर्णिमा

गुरु पूर्णिमा इस बार खास संयोग में गुरुवार को धूमधाम से मनाई जाएगी, दूर-दराज से शिष्य अपने गुरुओं से मिलने पहुंचेंगे। इस समय धार्मिक स्थलों पर भक्तों का जाना भी प्रारंभ हो गया है। इस बार गुरु पूर्णिमा काफी खास है। इस दिन इंद्र योग बन रहा है। इंद्र योग सुबह से लेकर रात 9 बजकर 39 मिनिट तक रहेगा। उसके बाद से वैधृति योग बनेगा। वहीं इस बार गुरुवार के दिन ही गुरु पूर्णिमा मनाई जाएगी। गुरुवार और गुरु पूर्णिमा का संयोग अत्यंत दुर्लभ और अत्यधिक शुभ माना जाता है पंडित नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के अनुसार गुरुवार बृहस्पति ग्रह और विष्णु भगवान को समर्पित दिन होता है और गुरु पूर्णिमा ज्ञान, उपासना और श्रद्धा का पर्व है। यह दोनों जब एक साथ आते हैं तो यह काल धार्मिक अनुष्ठानों के लिए सर्वश्रेष्ठ हो जाता है इस विशेष दिन धार्मिक अनुष्ठान व देव पूजन का आयोजन करने से जीवन के सभी क्षेत्रों में चमत्कारिक सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। पूर्णिमा की तिथि हर महीने आती है, लेकिन साल की कुछ पूर्णिमा तिथि पूजापाठ और अनुष्ठान के लिए विशेष मानी जाती है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा भी उनमें से एक होती है। इस वक्त भगवान विष्णु योग निद्रा में होते हैं और गुरु पूर्णिमा पर सृष्टि का भार भगवान शिव जी के पास होता है, भगवान शिव जी की पूजा करने से घर में सुख शांति स्थापित होती है और पारिवारिक क्लेश दूर होते हैं। गुरु पूर्णिमा पर आराध्य देव का पूजन करे।

गुरु के आशीर्वाद से सुख-समृद्धि
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु के महत्व का विशेष रूप से वर्णन किया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुरु पूर्णिमा पर गुरुजनों का आशीर्वाद प्राप्त करने से जीवन में सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके साथ इस दिन को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल इसी दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था, जिन्होंने महाकाव्य महाभारत की रचना की थी। ऐसी मान्यता है कि इस दिन वेद व्यास जी ने चारों वेदों की रचना की थी। इस दिन गुरु अपने शिष्यों को दीक्षा भी देते हैं। इस दिन सभी लोग अपने गुरुओं की पूजा करते हैं।

Spread the love