विवाह होने में विघ्न, रुकावटें कब आती है

विवाह जो जीवन का एक मुख्य हिस्सा है, जब सातवे भाव में, इस भाव के स्वामी के साथ किसी तरह की अशुभ स्थिति कुंडली मे ग्रह योगो या पाप ग्रहों से अशुभ स्थिति में होती है तब विवाह होने में परेशानियां आती है ठीक तरह से विवाह के लिए रिश्ता नही मिल पाता या रिश्ते शादी के लिए आकर बाद में हाँ शादी के लिए नही कहते है।
ऐसा जब ही होगा है जब सातवां भाव या इस भाव का स्वामी अशुभ स्थिति में होता है।
जैसे सातवे भाव मे कोई अशुभ योग बन रहे हो, या सातवे भाव के स्वामी ग्रह अशुभ स्थिति में हो या सातवे भाव के स्वामी के साथ अशुभ योग बन रहे हो तब यह भाव/भावेश ज्यादा पीड़ित होगा तब विवाह के रिश्ते सही मिलने में परेशानियां आती है ऐसी स्थिति में उपाय करना अनिवार्य होता है जिससे जो परेशानियां विवाह होने में है उनका निवारण हो सके।
अब कैसे यह दिक्कतें बार बार विवाह में आती है और क्या इसका उपाय हो सकता है इस बात को अब इस तरह से समझे आप
ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि जन्मकुंडली में मेष लग्न का सातवें भाव का स्वामी शुक्र बनता है शुक्र अब यहाँ राहु के साथ किसी भी भाव मे बेठा हो साथ ही सातवे भाव मे कोई अशुभ योग बना हो जैसे सूर्य शनि साथ बेठे हो तब यहाँ विवाह होने में परेशानियां आएगी। शुक्र राहु के साथ है केवल उस स्थिति में कम परेशानी आएगी और सातवें भाव मे शनि सूर्य जो है उस स्थिति में ज्यादा परेशानियां आएगी क्योंकि सातवे भाव और भावेश दोनो पर ही अशुभ प्रभाव है।

अब कब जल्दी निवारण हो जाता है….
इसे भी इस तरह से समझे
जन्मकुंडली में धनु लग्न में सप्तमेश बुध होता है यदि अब बुध किसी तरह आप ग्रहो के साथ अशुभ ग्रहों जैसे कि 6, 8 वे भाव के स्वामियों के प्रभाव में हो तब विवाह होने में परेशानियां आएगी लेकिन ऐसी स्थिति में शुभ ग्रहों का जैसे कि बृहस्पति, शुक्र का ज्यादा से ज्यादा शुभ प्रभाव सातवे भाव और सप्तमेश पर होने से, जैसे सातवे भाव के स्वामी बुध के साथ बलवान गुरु शुक्र का संबंध बने और बुध बलवान होगा तब अशुभ प्रभाव होने पर भी हल्की कठनाईयों के बाद शादी हो जाएगी, ठीक समय से लेकिन ज्यादा ही अशुभ प्रभाव होगा तब दिक्कते बार बार आएगी ऐसी स्थिति में दिक्कत करने वाले ग्रहो का उपचार जरूरी हो जाता है..
ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि अब कौन ग्रह क्या परेशानी करता है इसे समझते है, शनि का अशुभ प्रभाव विवाह में देर कराता है, राहु केतु बार बार बिघ्न कराते है, मंगल एक बार मे रिश्ता होने नही देगा, छठे, आठवें भाव के स्वामियों के प्रभाव भी बार बार परेशानियां देगा।
एक से ज्यादा पाप ग्रहों का सातवे भाव, सप्तमेश पर अशुभ प्रभाव विवाह बाद अलगाव की स्थिति बनाता है, इस तरह विवाह के रिश्ते मिलने में या सही समय विवाह का आने में बार बार विघ्न अशुभ और पाप ग्रहों का प्रभाव सातवे भाव और भावेश पर पड़ने से आता है।

ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री
मो.- +919993652408

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