
प्रतीक पाठक नर्मदापुरम-
लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में नियमों को दरकिनार कर लोकायुक्त की कार्रवाई में पकड़े गए सीनियर क्लर्क पवन सक्सेना को फिर से नर्मदापुरम में पदस्थ कर दिया गया है। दो माह पूर्व लोकायुक्त टीम ने उन्हें 7 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था, जबकि कुल 12 हजार रुपए की मांग की गई थी। ठेकेदार अवधेश पटेल की शिकायत पर लोकायुक्त एसपी दुर्गेश राठौर के निर्देशन में कार्रवाई की गई थी।अब विभाग ने कर्मचारियों की कमी का हवाला देते हुए पवन सक्सेना को पुनः नर्मदापुरम कार्यालय में अस्थायी रूप से पदस्थ किया है। इस निर्णय से विभागीय कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। सूत्रों के अनुसार, पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों की मिलीभगत और लेनदेन के चलते यह पदस्थापना की गई है। जबकि यह विभाग पहले से ही “मलाईदार विभाग” के रूप में पहचाना जाता है, जहां कई कर्मचारियों पर लेनदेन के आरोप लगते रहे हैं।बताया जा रहा है कि अधीक्षण यंत्री अनुराग सिंह की अनुशंसा पर भोपाल स्थित मुख्य अभियंता संजय मस्के ने यह आदेश जारी किया है। आदेश में उल्लेख है कि शासकीय कार्यों के सुचारू संचालन के लिए यह कदम उठाया गया है। हालांकि, यदि किसी अन्य कर्मचारी को पदस्थ किया जाता है तो आदेश स्वतः समाप्त माना जाएगा।स्थानीय स्तर पर अब यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि आखिर एक भ्रष्टाचार के आरोपी क्लर्क को इतनी जल्दी पुनः उसी जिले में कैसे पदस्थ किया गया। लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर ऐसे रिश्वतखोर अधिकारी को संरक्षण कौन दे रहा है और क्या उसकी चल-अचल संपत्तियों की जांच होगी। यह मामला न केवल विभाग की कार्यशैली पर बल्कि शासन की भ्रष्टाचार विरोधी नीति पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहा है।