कांग्रेस की जातिवादी राजनीति का जवाब भाजपा का हार्डकोर हिंदुत्व… दो मुख्यमंत्रियों के बयानों ने दिए पार्टी की रणनीति के संकेत

भोपाल। लोकसभा चुनाव के नतीजों से उत्साहित कांग्रेस जातिवादी जनगणना को भले ही बड़ा दांव मान रही हो, लेकिन भाजपा अपनी पुरानी परिपाटी के अनुसार कांग्रेस को उसके ही मुद्दे पर न केवल चक्रव्यूह में घेर रही है, बल्कि अपनी पैठ भी मजबूत करने के लिए आगे बढ़ चुकी है। कांग्रेस की जातिवादी राजनीति का जवाब भाजपा हार्डकोर हिंदुत्व से दे रही है।

कांग्रेस उठाती रहती है सामाजिक समानता और अधिकार की बात

दरअसल, कांग्रेस जातिवादी जनगणना के माध्यम से सामाजिक समानता और अधिकार की बात उठाती रही है। पार्टी के नेता राहुल गांधी हर मुद्दे को जातिवादी प्रतिनिधित्व से जोड़कर भाजपा सरकारों को पिछड़े, कमजोर, दलित वर्ग के अधिकारों के हनन का दोषी ठहराते रहे हैं। संवेदनशील मुद्दा होने के चलते भाजपा राहुल गांधी पर सीधे हमले से परहेज करती रही है, लेकिन पार्टी ने अपने कदम पीछे नहीं लिए हैं, बल्कि हार्डकोर हिंदुत्व को आगे बढ़ाते हुए जातिवादी जनगणना के मुद्दे को गौण करने के संकेत दे दिए हैं।

जन्‍माष्‍टमी पर आए ऐसे बयान

इसकी स्पष्ट झलक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के जन्माष्टमी पर सोमवार को एक ही दिन आए बयानों में दिखाई पड़ती है। योगी ने बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बहाने हिंदुओं पर हुए अत्याचार पर चेतावनी भारी लहजे में कहा कि बंटेंगे तो कटेंगे, एक रहेंगे तो नेक रहेंगे।

दोनों बयानों को लेकर पूरे देश में सरगर्मी

वहीं, मध्य प्रदेश में जन्माष्टमी महोत्सव में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने बयान दे दिया कि भारत में रहना है तो राम-कृष्ण की जय कहना होगा। इन दोनों बयानों को लेकर पूरे देश में सरगर्मी है। कांग्रेस ने फिलहाल इन बयानों पर प्रतिक्रिया नहीं दी है।

सामाजिक विषमता का खतरा

भारत में वर्ष 1931-32 में अंतिम बार जातिवादी जनगणना हुई थी। इसमें करीब चार हजार जातियों की जानकारी प्राप्त हुई थी, लेकिन 2011 की जनगणना में जब यह संख्या बढ़कर 80 हजार पार कर गई तो तत्कालीन सरकार ने इसे जारी नहीं किया। 1931-32 की जनगणना में जाति दर्ज करने का दुष्परिणाम रहा कि हजारों ऐसी जातियां अस्तित्व में लाई गईं, जिनका पहले जिक्र नहीं हुआ करता था।

लाभ लेना उद्देश्‍य

माना गया कि लाभ लेने के उद्देश्य से इन जातियों को सरकार के ध्यान में लाने की कोशिश की गई। हालांकि इसका फायदा तो नहीं हुआ, बल्कि समाज कई जातियों और उपजातियां में बंटता चला गया। जानकार मानते हैं कि समाज में ऐसा विभाजन सामाजिक ताने-बाने और समरसता को बेहद चोट पहुंचाता है। इन तर्कों को कांग्रेस सिरे से खारिज करते हुए ‘जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी हिस्सेदारी’ को प्राथमिकता दे रही है, वहीं भाजपा हिंदुत्व को आगे रखते हुए समाज को जातियों में बंटने और विद्वेष से बचाने की पहल पर आगे बढ़ रही है।

बयानों से मिले हार्डकोर हिंदुत्व के संकेत

दो मुख्यमंत्रियों के बयान ने भाजपा के हार्डकोर हिंदुत्व के स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि आने वाले समय में कांग्रेस के जातिवादी जनगणना के मुद्दे के मुकाबले हिंदुत्व की धार को मजबूत कर भाजपा न केवल कांग्रेस को घेरेगी, बल्कि हिंदुओं के बीच अपनी पैठ और मजबूत बनाएगी। हार्डकोर हिंदुत्व सरकार के एजेंडे में भी केंद्र से लेकर राज्य की भाजपा सरकारों तक कई फैसलों में हार्डकोर हिंदुत्व साफ दिखाई पड़ता है।

मध्य प्रदेश में जन्माष्टमी उत्सव स्कूलों में भी मानने के आदेश हुए थे जारी

आरएसएस के आयोजन में सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों के शामिल होने पर लगी रोक हटाई गई, वहीं, पाठ्यक्रमों से मुगल शासक के बजाय हिंदू शासकों और गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों के अध्याय जोड़े गए। मध्य प्रदेश में जन्माष्टमी उत्सव स्कूलों में भी मानने के आदेश जारी हुए, साथ ही दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार गो-पालन को प्रोत्साहित कर रही है और पर्यटन की दृष्टि से महाकाल लोक की तर्ज पर प्राचीन मंदिरों के परिसरों का विकास भी कर रही है।

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