नर्मदा पुरम। शहर में नगर पालिका अध्यक्ष के खिलाफ पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव को लेकर गत दिवस कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था लेकिन इस पर अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है। जबकि सागर की देवरी नगर पालिका में भी कुछ ऐसा ही मामला आया था, जिस पर वहां के पार्षदों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था जिस पर कलेक्टर ने विशेष सम्मेलन आयोजित करने की कार्यवाही करने का आश्वासन पार्षदों को दिया। लेकिन शहर में नगर पालिका अध्यक्ष नीतू यादव को हटाने को लेकर यहां के पार्षदों ने गत दिवस ज्ञापन सौंपा था लेकिन उस पर अब तक राजनीतिक संरक्षण के चलते कोई कार्यवाही नहीं की गई। नर्मदा पुरम नगर पालिका के अध्यक्ष को हटाने के लिए 21 अगस्त को कलेक्टर और सीएमओ को पार्षदों ने लिखित आवेदन दिया था जबकि 22 तारीख को सागर के देवरी में आवेदन दिया था। सागर के कलेक्टर ने अविश्वास प्रस्ताव के लिए तारीख तय कर दी है लेकिन नर्मदा पुरम में कार्यवाही अभी तक नहीं की गई है।
अध्यक्ष की कार्यशैली से 24 पार्षद हैं नाराज
ज्ञात हो कि नगर पालिका अध्यक्ष नीतू यादव की कार्यशैली से 33 में 24 पार्षद नाराज हैं । यह अविश्वास प्रस्ताव के जरिए तख्तापलट की मुहिम में जुटे हुए हैं। सरकार ने निकायों के अध्यक्ष हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाने का समय दो साल से बढ़ाकर तीन साल कर दिया है। नए नियम का गजट नोटिफिकेशन जारी नहीं होने तक वर्तमान नियम ही (दो साल के कार्यकाल के बाद) लागू रहेगा। पार्षद चाहते हैं कि नए नियम का गजट नोटिफिकेशन होने के पहले अविश्वास प्रस्ताव पास हो जाए ताकि नगर पालिका अध्यक्ष को हटाया जा सके। पार्षदों नगर पालिका का सम्मेलन तत्काल बुलाए जाने की मांग की। इसको लेकर पार्षद प्रयास भी कर रहे हैं।
गजेटियर में प्रकाशन होने के बाद 3 साल वाला फार्मूला लागू होगा
बताया जाता है कि तीन साल के कार्यकाल के बाद नगर पालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष को हटाने जाने को लेकर कैबिनेट द्वारा पारित नियम के लागू होने में लगभग एक महीने का समय है। गजेटियर में प्रकाशन होने के बाद 3 साल वाला फार्मूला लागू हो जाएगा। इसलिए सभी असंतुष्ट पार्षद एक साथ लामबंद हैं और सिर्फ कलेक्टर के आदेश का इंतजार कर रहे हैं । वहीं नगर में राजनीतिक लोग भी सक्रिय हो गए हैं। कलेक्टर ही सम्मेलन बुलाने का निर्णय ले सकते हैं।
पार्षदों की हाईकोर्ट में जाने की भी तैयारी
असंतुष्ट पार्षद इस मामले को लेकर हाई कोर्ट की शरण में जाने का मन बना रहे हैं। नियम यह कहता हैं कि जब तक गजेटियर में प्रकाशन नहीं हो जाता तब तक 3 साल वाला फार्मूला लागू नहीं होगा । बजट में प्रकाशित होने के बाद ही 3 साल का फार्मूला लागू किया जाएगा । जानकारों का कहना है कि जिन पार्षदों ने लिखित रूप से अपनी सहमति जताई है। इस आधार पर पार्षदों की मीटिंग बुलाकर कार्रवाई की आ सकती है , लेकिन जिला प्रशासन के निर्देश के बिना संभव नहीं है। फिर भी सीएमओ वरिष्ठ अधिकारियों से राय मशवरा लेकर इस प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकते हैं। इस मामले में कलेक्टर का फैसला ही अंतिम होगा उसके बाद ही सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।