
पवन जाट
नर्मदापुरम जिले में पशुपालन एवं डेयरी विभाग के दुग्ध समृद्धि संपर्क अभियान के द्वितीय चरण को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि मैत्री कार्यकर्ता, जिन्हें ग्रामीण भारत बहुउद्देशीय कृत्रिम गर्भाधान टेक्नीशियन भी कहा जाता है, ने अभियान में किसी भी प्रकार की भागीदारी से साफ इनकार कर दिया है। पूरे प्रदेश के मैत्री कार्यकर्ताओं ने एकमत होकर घोषणा की है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, वे प्रशिक्षण में भी शामिल नहीं होंगे और न ही किसी भी स्तर पर अभियान में कार्य करेंगे। 1 दिसंबर 2025 को नर्मदापुरम में आयोजित बैठक में प्रदेश अध्यक्ष गंभीर सिंह, प्रदेश प्रवक्ता भागीरथ गौर, जिले के सभी ब्लॉक अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष और बड़ी संख्या में मैत्री कार्यकर्ता मौजूद रहे। इस बैठक में आंदोलन को औपचारिक रूप से शुरू करते हुए कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया। इसके साथ ही पशुपालन एवं डेयरी विभाग के उपसंचालक डॉ. के.सी. दुबे को भी ज्ञापन देकर स्थिति से अवगत कराया गया। जिला अध्यक्ष कैलाश चौरे और जिला कार्यकारिणी अध्यक्ष दीपक गौर ने बताया कि दुग्ध समृद्धि संपर्क अभियान के दूसरे चरण में मैत्री कार्यकर्ताओं को मात्र ₹5 प्रति सेवा की राशि दी जा रही है, जिसे वे पूरी तरह अस्वीकार्य मानते हैं। उनका कहना है कि ₹5 जैसी न्यूनतम राशि में किसी भी प्रकार की फील्ड सेवा, परिवहन और तकनीकी कार्य करना संभव नहीं है, इसलिए इस राशि को बढ़ाकर ₹30 प्रति सेवा किया जाना आवश्यक है। कार्यकर्ताओं ने साफ कहा कि जब तक राशि में संशोधन नहीं किया जाता, तब तक कोई भी कार्यकर्ता प्रशिक्षण में उपस्थिति नहीं देगा। ज्ञापन में अन्य पांच मुख्य बिंदु भी शामिल हैं, जिनमें सेवा शर्तों में सुधार, मानदेय संरचना का पुनर्निर्धारण, सुरक्षा मानकों की व्यवस्था, कार्यस्थल पर सुविधाओं का प्रावधान और मैत्री कार्यकर्ताओं को विभागीय योजनाओं में उचित स्थान देने की मांगें शामिल हैं। कार्यकर्ताओं ने यह भी कहा कि पिछले कई महीनों से वे अपनी समस्याओं को ज्ञापन और चर्चाओं के माध्यम से शासन-प्रशासन तक पहुंचा रहे थे, लेकिन उनकी मांगों पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। इसलिए अब मजबूर होकर उन्हें आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ा है। आंदोलनकारियों ने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र निर्णय नहीं लिया गया, तो यह आंदोलन प्रदेशभर में और अधिक विस्तृत रूप ले सकता है। फिलहाल प्रशासन की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन मैत्री कार्यकर्ताओं का रुख स्पष्ट है—जब तक सम्मानजनक राशि नहीं मिलेगी, तब तक वे किसी भी प्रकार के कार्य में भाग नहीं लेंगे।