महाराष्ट्र की राजनीति में अगले दस दिनों में भूचाल
मुंबई @राजेंद्र देसाई
मुंबई।अगले दस दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े भूचाल की संभावना है।राजनीति के केंद्र में इस बार राष्ट्रवादी के ताकतवर नेता और विधानसभा में विपक्ष के नेता अजित पवार है। अजित दादा के बागी तेवरों ने महाविकास आघाड़ी के नेताओं की नींद उड़ा दी है। अजित दादा और उनके चाचा राष्ट्रवादी कांग्रेस के सर्वेसर्वा शरद पवार के बीच अब तक चल रहा शीत युद्ध अपने चरम पर पहुंच गया है। अजित पवार इस बार आर पार के मूड़ में है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है राष्ट्रवादी पार्टी में इस बार टूट होकर ही रहेगी।बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने टूट की स्क्रिप्ट लिख दी है बस अब अजीत पवार और बीजेपी में सत्ता के बटवारे को लेकर बातचीत चल रही है।उधर चाचा शरद पवार ठंडे दिमाग से चाल तो चल रहे है पर इस बार स्थितियां उनके अनुकूल नहीं दिखाई दे रही है।पार्टी के अधिकांश बड़े नेता अजीत पवार के साथ है।पवार परिवार में चाचा और भतीजे की कलह कोई नई नहीं है। हर बार भतीजे पर चाचा भारी पड़े हैं।लेकिन इस बार स्थितियां कुछ अलग है।८३ साल के मराठा नेता शरद पवार की हसरत है कि वे अपनी बेटी बारामती से सांसद सुप्रिया सुले को राजनीति में सेट कर दे। शरद पवार का अपने भतीजे अजित पवार के मुकाबले बेटी सुप्रिया सुले को ज्यादा अहमियत देना ही अजित पवार को चुभती है।बस इसी बात को लेकर अजीत पवार और चाचा शरद पवार के बीच ठनी हुई है। अजित दादा के बागी तेवरों ने महा विकास आघाड़ी के साथ मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट की भी नींद उड़ा दी है। उद्धव ठाकरे ने अभी के हालात देखते हुए कह दिया कि भविष्य में उन्हें अकेले ही बीजेपी से दो दो हाथ करने पड़ेंगे।
बीजेपी के लिए क्यों अहम है अजीत पवार
अगले साल होनेवाले लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी के लिए महाराष्ट्र बहुत अहम राज्य है।२०१९ के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना गठबंधन ने ४८ लोकसभा सीटों में से ४२ पर जीत दर्ज की थी।पिछले साल जून में शिवसेना में हुई फूट में बीजेपी और शिवसेना से निकले एकनाथ शिंदे गुट ने महाराष्ट्र में सरकार बनाई।बीजेपी ने उसके बाद जो आंतरिक सर्वे कराए उसने बीजेपी को चिंता में डाल दिया।तीन सर्वे में लोकसभा चुनाव में महाविकस आघाड़ी को बढ़त दिखाई दी।एकनाथ शिंदे के गुट को तो सर्वे में बहुत दयनीय स्थिति में दिखाया गया। इस बात ने बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को चिंता में डाल दिया।इसके बाद बीजेपी ने महाराष्ट्र के अपने अपने इलाको में ताकतवर नेताओ को अपने पाले में लाने की रणनीति पर काम शुरू किया।इसी कड़ी में अजीत पवार को साधने का काम किया।वैसे ही राष्ट्रवादी के कई बड़े नेताओं के खिलाफ ईडी की जांच चल रही है। राष्ट्रवादी के अनेक नेताओ का मानना है कि बीजेपी के साथ जाते है तो ईडी से मुक्ति मिल जाएगी। सूत्रों ने बताया कि इसी कारण राष्ट्रवादी के ४० से ज्यादा विधायक अजीत पवार के साथ जाने को तैयार हैं। सूत्र तो यह भी दावा कर रहे हैं कि राष्ट्रवादी के सांसद प्रफुल पटेल के साथ अजीत पवार ने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली में किसी अज्ञात जगह पर मीटिंग भी की।उसीके बाद अजीत पवार के सूर बदल गए। उन्होंने खुलकर कह दिया कि वे मुख्यमंत्री के लिए २०२४ का इंतजार नहीं करने वाले।दिल्ली में महाराष्ट्र की राजनीति की पटकथा लिखी जा चुकी हैं।बस उस पर अमल करने की देर है। कहा जाता हैं कि पेंच इस बात पर फंसा है कि अजीत पवार मुख्यमंत्री से कुछ कम लेने को तैयार नहीं है। इस बीच एकनाथ शिंदे का गुट अपने भविष्य को लेकर बड़ी चिंता में आ गया है।उसके १६ विधायको पर अयोग्यता की तलवार लटक रही है। उसमें खुद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी शामिल हैं। इसका फैसला सुप्रीम कोर्ट से कभी भी आ सकता है।यदि अजीत पवार अपने ४० विधायको के साथ बीजेपी से हाथ मिलाते है तो राजनीति की तस्वीर क्या होगी ? उधर शिंदे गुट के प्रवक्ता विधायक संजय शिर सट ने साफ कर दिया कि अजीत पवार के बीजेपी से हाथ मिलाने पर वे गठबंधन से बाहर हो जायेंगे।उधर बीजेपी में राज्य के ताकतवर नेता और वर्तमान उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लेकर भी बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व पेशोपेश में है। यदि बीजेपी को मजबूरी में अजीत पवार को सीएम बनाना पड़े तो श्री फडणवीस उनके अधीन काम करने को तयार होंगे? इसको लेकर शक है।ऐसे में एक रास्ता है कि फडणवीस को केंद्र सरकार में शामिल किया जा सकता है। यह तो तय है कि इस बार अजित पवार अपने चाचा के साथ आर पार के मूड़ में है।बस अब बीजेपी के साथ सत्ता का फार्मूला कैसे फीट बैठता है इस पर सारा दारोमदार है। यदि सब ठीक ठाक रहा तो अगले दस दिन में महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ी उथल पुथल देखने को मिल सकती है।