प्रतीक पाठक, नर्मदापुरम
जिस प्रकार भगवान अनंत हैं, उसी प्रकार उनकी लीला भी अनंत हैं। भगवान की अनंतता और उनकी लीलाओं की विचित्रता अकथनीय है। उनकी प्रत्येक लीला का गोपनीय रहस्य है जिसे संसार नहीं समझ सकता। ऐसी ही उनकी एक लीला है नौका विहार लीला।
नौका विहार लीला के पीछे मान्यता है कि भगवान कृष्ण राधा जी के साथ यमुना में नाव में घूमा करते थे. इसी लीला का चित्रण आज भी किया जाता है। इस उत्सव में शामिल होने के लिए स्वप्निल उपाध्याय जी के घर सैकड़ों की संख्या में आस पास के भक्त दर्शन के लिए आए।
इस नौका विहार कार्यक्रम में घर पर ही पानी का छोटा सा कुंड बना कर पानी के ऊपर फूलो की रंगोली बना कर भगवान को नौका विहार करवाया जाता है।
यह संसार एक भवसागर है और कृष्ण नाम रूपी नौका से ही इसे पार किया जा सकता है। श्रीमद्भागवत में लिखा है–
जिन्होंने श्रीकृष्ण के चरणों रूपी नौका का आश्रय लिया है उनके लिए यह भव-सागर बछड़े के खुर के समान है। उन्हें परमपद की प्राप्ति हो जाती है और उनके लिए विपत्तियों का निवास स्थान–यह संसार नहीं रहता।