जबलपुर, 20 मई 2025
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने व्यापमं पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा से जुड़े बहुचर्चित मामले में डॉ. अजय शंकर मेहता के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करते हुए उन्हें बड़ी राहत दी है। डॉ. मेहता के खिलाफ वर्ष 2015 में सीबीआई और एसटीएफ द्वारा मामला दर्ज किया गया था।
न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता अजय गुप्ता द्वारा प्रस्तुत तर्कों को स्वीकार करते हुए स्पष्ट किया कि:
• डॉ. मेहता का नाम केवल दो अभ्यर्थियों से जोड़ा गया,
• किसी भी प्रकार की आर्थिक लेनदेन, लाभ या साजिश का प्रमाण नहीं मिला,
• व्यापमं अधिकारियों से बातचीत मित्रवत संबंधों पर आधारित थी,
• “मात्र मित्रता साजिश नहीं मानी जा सकती।”
कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि यदि सीबीआई के आरोप मान भी लिए जाएं, तब भी कोई दंडनीय अपराध सिद्ध नहीं होता।
डॉ. मेहता, जो एक प्रतिष्ठित अस्थि रोग विशेषज्ञ हैं और जन अभियान परिषद में मंत्री दर्जा प्राप्त उपाध्यक्ष रह चुके हैं, के खिलाफ यह एकमात्र आपराधिक मामला था। यह निर्णय न केवल उनकी प्रतिष्ठा की पुनर्स्थापना करता है, बल्कि कानून के अनुचित उपयोग के शिकार रहे अन्य लोगों के लिए भी आशा का संदेश है।
इस सफलता में वरिष्ठ अधिवक्ता अजय गुप्ता की भूमिका निर्णायक रही।