दिल्ली जैसे हमले रोकने के लिए सरकार को उठाने चाहिए ऐसे ठोस कदम

प्रतीक पाठक नर्मदापुरम –

दिल्ली में हाल ही में हुए आतंकी हमले ने एक बार फिर सुरक्षा व्यवस्था और आतंकवाद-निरोधी रणनीतियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। देश की राजधानी होने के नाते दिल्ली का महत्व और खतरा, दोनों ही ज्यादा हैं। ऐसे में सरकार को बहुआयामी, आधुनिक और रणनीतिक कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके।सबसे पहले, खुफिया तंत्र को और अधिक मजबूत बनाना समय की बड़ी जरूरत है। कई बार हमले इसलिए सफल हो जाते हैं क्योंकि खुफिया एजेंसियों तक समय रहते सटीक इनपुट नहीं पहुँच पाते। केंद्र और राज्यों की एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय, रीयल-टाइम डेटा शेयरिंग और आधुनिक तकनीक का उपयोग इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम होंगे।दूसरा बड़ा कदम है—टेक्नोलॉजी आधारित सुरक्षा प्रणाली। दिल्ली जैसे शहरों में AI आधारित सर्विलांस कैमरे, नंबर प्लेट रिकॉग्निशन सिस्टम, संदिग्ध गतिविधियों को स्वचालित रूप से पहचानने वाले सॉफ़्टवेयर और हाई-टेक कंट्रोल रूम बेहद कारगर साबित हो सकते हैं। स्मार्ट मॉनिटरिंग से कई हमलों को शुरू में ही रोका जा सकता है।तीसरा, एंटी-टेरर क्विक रिस्पॉन्स सिस्टम को मजबूत करना होगा। किसी भी विस्फोट, संदिग्ध वाहन या खतरनाक गतिविधि की रिपोर्ट मिलते ही तत्काल कार्रवाई करने वाली विशेष यूनिट होना जरूरी है। इससे नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है।चौथा और महत्वपूर्ण कदम है—सामाजिक जागरूकता और नागरिक भागीदारी। आतंकवादी गतिविधियाँ अक्सर भीड़भाड़ या आम जगहों पर ही पनपती हैं। यदि नागरिक संदिग्ध व्यक्तियों, बेकार खड़ी गाड़ियों या असामान्य गतिविधियों की तुरंत सूचना दें, तो बड़े हादसों को टाला जा सकता है।अंत में, कट्टरपंथ और ऑनलाइन रैडिकलाइजेशन पर नजर रखना बेहद आवश्यक है। सरकार को साइबर सेल को और मजबूत कर भड़काऊ कंटेंट, संदिग्ध अकाउंट और डिजिटल भर्ती नेटवर्क पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।समग्र रूप से, दिल्ली जैसे हमलों को रोकने के लिए सरकार को सुरक्षा, तकनीक, जागरूकता और कठोर कानून—इन सभी को एक साथ जोड़कर व्यापक रणनीति बनानी होगी। तभी देश सुरक्षित, भरोसेमंद और आत्मविश्वास से भरा रहेगा।

 

Spread the love