भोपाल। एक अधिकारी की जिद के कारण राजधानी परियोजना प्रशासन (सीपीए) को दो साल पहले बंद कर दिया गया था। अब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर इसे पुनर्जीवित करने की कवायद शुरू कर दी गई है। कभी राजधानी भोपाल को खूबसूरती देने वाला सीपीए बंद करने के पीछे एक नौकरशाह की जिद ऐसी रही कि पिछले डेढ़ साल से भोपाल की सूरत ही बदल गई है।
सीपीए बंद होने का खामियाजा
शहर की मुख्य सड़कों की बदहाली सीपीए के न होने की कहानी बता रही है। आए दिन दुर्घटनाओं को न्यौता देते सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे, उजड़ते हुए पार्क और पर्यावरण का संतुलन बनाए हुए पेड़ों की अंधाधुंध कटाई ने शहर की खूबसूरती ही खत्म कर दी।