देश में कितनी तेजी से फैली है कोचिंग इंडस्ट्री, GST कलेक्शन देखकर फटी रह जाएंगी आंखें

नई दिल्ली: देश में कोचिंग इंडस्ट्री कितनी तेजी से फल-फूल रही है, इसका अंदाजा कोचिंग इंस्टिट्यूशन से मिल रहे जीएसटी कलेक्शन को देखकर लगाया जा सकता है। पिछले चार-पांच साल में कोचिंग इंस्टिट्यूशन से मिलने वाले जीएसटी कलेक्शन में दोगुनी से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 2019-20 में जहां कोचिंग संस्थानों से 2240.73 करोड़ रुपये का जीएसटी कलेक्शन मिला, वहीं 2023-24 में यह संख्या बढ़कर 5517.45 करोड़ हो गई है। 2020-21 में कोविड के दौरान भी यह आंकड़ा 2215.24 करोड़ का रहा। 2021-22 में 3045.12 करोड़ और 2022-23 में 4667.03 करोड़ रुपये कलेक्शन रहा। राज्यसभा के सदस्य प्रमोद तिवारी की ओर से पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी गई है।

लिखित जवाब के मुताबिक राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी यह माना गया है कि छात्रों के साथ-साथ उनके पैरंट्स बेहतर रिजल्ट के लिए कोचिंग को चुन रहे हैं। विषय को समझाने की जगह रटने पर फोकस कराया जा रहा है। समाधान के लिए नई शिक्षा नीति में रेगुलर फोरमेटिव असेसमेंट की सिफारिश की गई है। सिर्फ रटने और परीक्षा-केंद्रित तैयारी पर जोर देने वाली कोचिंग संस्कृति के प्रभाव को कम करने के लिए जरूरी कदम उठाने की बात कही गई है। वीएसपीके एजुकेशन सोसायटी के चेयरमैन एस. के. गुप्ता का कहना है कि पैरंट्स व छात्रों पर कोचिंग का बुखार इस कदर हावी है कि वे डमी स्कूलों में चले जाते हैं। डमी स्कूलों में जाकर एडमिशन ले लेते हैं और क्लास कोचिंग में लेते हैं। जबकि स्कूल जाने से बच्चा ज्यादा सीखता है, उस पर तनाव कम हावी होता है।

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