दलालों का अड्डा बना आरटीओ, बिना रुपए दिए नहीं होता कोई भी काम

प्रतीक पाठक,
नर्मदापुरम ।
प्रदेश में निजाम भले ही बदल गया, लेकिन नर्मदापुरम आरटीओ में कामकाज का ढर्रा अभी भी पुराने दिनों का ही चल रहा है । बल्कि अनियमितता और भ्रष्टाचार का पायदान एक सीढ़ी और बढ़ गया है। यहां पूरी तरह बाबू राज है, किसी के आने जाने का कोई वक्त तय नहीं है। पूरे कार्यालय में हर टेबिल पर दलालों का कब्जा है, बिना लिए दिए किसी का कोई भी काम नहीं हो पा रहा है। प्रशासनिक अराजकता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां एक बाबू के पास चार चार प्रभार है। यानी एक बाबू आरटीओ के रुप में काम कर रहा  है। कहीं किसी की कोई सुनने वाला नहीं है। शिकायतों पर एक्शन तो दूर गौर तक नहीं किया जाता है। कुल मिलाकर आरटीओ के इस आफिस को दलाल चला रहे हैं।

 

भोपाल से कर रहे अप डाउन, आना जाना मर्जी से
आरटीओ में तीन-तीन प्रभार संभाल रहे बाबू विजय श्रीवास्तव भोपाल से अप डाउन करते हैं। दोपहर में आते हैं और शाम को 5 बजे भोपाल रवाना हो जाते हैं, क्योंकि ट्रेन का यही टाइम है। जबकि शासन प्रशासन के सख्त निर्देश है कि कर्मचारी किसी प्रकार अप डाउन नहीं करेंगे और यदि अप डाउन करते भी हैं तो दफ्तर 11 बजे आना अनिवार्य है । बाबू वहां से 1:30 बजे आते हैं और शाम को 5 बजे ट्रेन से रवाना हो जाते हैं । यह सिलसिला भगत बाबू का लगभग 18 सालों से चल रहा है । कोई भी अफसर इनको रोक-टोक नहीं करता क्योंकि बाबू ऐसी सीट पर बैठे हैं और उनके पास विभाग का अतिरिक्त तीन प्रभार है इसलिए आरटीओ अधिकारी भी हिम्मत नहीं जुटा पाए क्योंकि बाबू कमाऊ पूत हैं ।

 

एक बाबू के पास तीन प्रभार
आरटीओ के बाबू विजय श्रीवास्तव के पास तीन विभाग का प्रभार है, जबकि नियम के अनुसार एक व्यक्ति के पास एक ही प्रभार रहता है। एक ही विभाग का काम रहता है, लेकिन आरटीओ अधिकारी उनसे इतना खुश है कि एक कर्मचारी को तीन विभाग का काम सौंपा गया है, जबकि और अन्य भी बाबू कर्मचारी हैं लेकिन उन्हें न देकर यह बाबू पूरे तीनों विभाग का काम देखते हैं

आरटीओ के खास है लिपिक बाबू श्रीवास्तव
आरटीओ अधिकारी के खास हैं इसलिए कोई भी कर्मचारी अधिकारी उक्त लिपिक बाबू श्रीवास्तव से कुछ नहीं कह सकता। बाबू की टेबल पर बस संचालक और अन्य कामकाज करने वाले व्यक्तियों क्या झुंड हमेशा लगा रहता है। तीनों तरफ उनकी बड़ी कमाई करके यह बाबू ऊपर तक मैनेज करते हैं। बताया जाता है कि बाबू लाइसेंस, हैवी लाइसेंस , अन्य लाइसेंस बनाने के लिए बिना दान दक्षिणा के कोई काम करते ही नहीं है। जब तक उनकी टेबल पर दान दक्षिणा नहीं दी जाए वह काम करते ही नहीं है। मालूम हो कि ऑनलाइन सुविधा होने के बाद भी बिना दक्षिणा के फाइल पर दस्तक होते ही नहीं है।

इनका कहना

हमारे पास स्टाफ की कमी है। कुल मिलाकर हम आठ लोग हैं, इसलिए प्रभार दिया जाता है। इसके साथ ही दलाल के पास लोग जाते हैं वे अतिक्रमण करके बैठे हैं। आप लोग किसी की बातों में न आए काम अच्छा हो रहा है।
निशा चौहान – आर टी ओ अधिकारी नर्मदापुरम

Spread the love