पंडित रामलाल शर्मा स्मृति समारोह

प्रतीक पाठक, नर्मदापुरम

पंडित रामलाल शर्मा स्मृति समारोह के पांच दिवसीय ज्ञान सत्र के द्वितीय दिवस व्यास गादी से प्रवचन की शुरुआत करते हुए मानस रत्न डॉ रामगोपाल तिवारी जी ने कहा कि देह एवं प्राणों को प्रथक प्रथक समझते हुए हमें प्राणों के पोषण पर भी ध्यान देना होगा, रामचरितमानस में पुष्पवाटिका प्रसंग का विस्तार करते हुए आपने विदेहराज जनक जिस तरह वैदेही जानकी एवं परमात्मा श्रीराम के एकत्व के लिये धनुषयज्ञ प्रसंग की प्रकिया अपनाते हैं वह तात्विक रूप से ब्रह्म से ब्रह्म का मिलन है, यह ईश्वर की कृपा है जो असंख्य जीवों के मध्य हमें नर के रूप में यह जन्म मिला तुलसीदास जी विनय पत्रिका में कहतें हैं प्रभु आपकी कृपा से यह मनुष्यशरीर मिला ,कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां मनुष्य देह पाकर भी हम भजन में सलग्न नहीं रह पाते । इस जीवन का परम लक्ष्य है ईस्वर भजन ।इस कलिकाल में ज्ञान , कर्म का निर्वाह , भक्ति का प्रवाह कठिन हैं केवल राम नाम एवं रामकथा ही हमें तभी सुलभ है जब ईश्वर कृपा हमारे ऊपर है । बुद्धि कुतर्क का दोष होता है किंतु रामकथा में म एकाग्रता बनी रहे ऐसा प्रयास करना चाहिए , जो भगवान कृपा के सागर हैं वे शरणा गत हैं वे शरणा गत की अवश्य ही रक्षा करेंगे । मनुष्य का शरीर सृष्टि में सर्वश्रेष्ठ है अन्य योनियों में सभी देह की सुख सुविधा के लिए सभी प्रयास करतें हैं किंतु मनुष्य देह में हम बिना देह वाले को जानने का प्रयास करतें हैं ।
कार्यक्रम के प्रारंभ में पूज्य डॉ रामगोपाल तिवारी द्वारा पं रामलाल शर्मा के चित्र पर माल्यार्पण किया गया पूज्य तिवारी जी का स्वागत पूर्व विधायक पं गिरिजाशंकर शर्मा के साथ महेश कुमार पालीवाल , हर्ष पालीवाल , बालकृष्ण शर्मा , डॉ एल एल दुबे , भगवताचार्य पं तरुण तिवारी , महेन्द्र चौकसे ने किया।
कार्यक्रम के भजनांजली में गायक ऋतु कुलश्रेष्ठ ने भजन की प्रस्तुति दी हारमोनियम पर पं राम परसाई एवं तबले पर संगत सक्षम पाठक ने की

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