शिक्षकों और आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से बच्चों को दी जा रही है पॉक्सो अधिनियम की जानकारी

सोमेश तिवारी
भोपाल : 13 सितम्बर 2023
महिला-बाल विकास विभाग द्वारा प्रदेश में बाल यौन शोषण, शारीरिक शोषण आदि पर समय-समय पर जिला, विकासखंड तथा ग्राम स्तर पर बच्चों को जागरूक किया जा रहा है। विभिन्न स्तर पर केम्पेन आयोजित कर पॉक्सो अधिनियम के प्रावधानों की जानकारी से भी अवगत कराया जा रहा है। विभाग द्वारा प्रति वर्ष बाल सुरक्षा सप्ताह में सरकारी स्कूलों तथा आँगनवाड़ियों में शिक्षकों और आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से बच्चों को पॉक्सो अधिनियम के प्रावधानों की जानकारी के साथ ही ‘गुड टच-बेड टच’ के बारे में भी अवगत कराया जा रहा है।
प्रदेश में 11 जिलों में बाल-मित्र कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं। इसमें ग्राम स्तर पर पॉक्सो एक्ट के संबंध में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। पॉक्सो अधिनियम-2012 के अंतर्गत सपोर्ट पर्सन के रिसोर्स पर्सन की मेपिंग की गई है। प्रदेश में ग्राम एवं वार्ड स्तरीय बाल संरक्षण समितियों का गठन किया गया है। विकासखंड स्तर पर 309 बाल संरक्षण समितियाँ, ग्राम पंचायत स्तर पर 23,169 तथा नगरीय निकाय में लगभग 6,145 बाल संरक्षण समितियों का गठन किया गया है। इन समितियों के माध्यम से पॉक्सो संबंधी जन-जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।

प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, लोक स्वास्थ्य कल्याण विभाग द्वारा बाल संरक्षण इकाईयों में संरक्षित किये गये बच्चों तथा यौन उत्पीड़न के शिकार बच्चों की प्रभावी काउन्सलिंग पर आधारित वर्चुअल उन्मुखीकरण सह प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन के सहयोग से प्रदेश के 11 जिले- रतलाम, जबलपुर, इंदौर, नर्मदापुरम, शहडोल, मुरैना, विदिशा, कटनी, निवाड़ी, सतना एवं शिवपुरी में बाल-मित्र ग्राम कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है।
बाल-मित्र ग्राम कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बाल श्रम, बाल विवाह, बाल शोषण और दुर्व्यवहार पर संपूर्ण रोक और सभी बच्चों का स्कूल में नामांकन एवं उपस्थिति सुनिश्चित कराना है। कार्यक्रम में 110 गाँव में सभी स्कूल शिक्षकों को पॉक्सो अधिनियम के प्रावधानों पर आधारित ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया गया। इसमें नवम्बर 2021 से जून 2023 तक 136 स्कूलों के 4,150 बच्चों को पॉक्सो एक्ट संबंधी प्रशिक्षण दिया गया। इसके अतिरिक्त 7 गाँव के 410 बच्चों को सायबर सिक्योरिटी पर भी प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के तहत जिला स्तर पर 133 प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किये गये, जिसमें लगभग 9,697 प्रतिभागी, विकासखंड स्तर पर 14,302, वार्ड स्तर पर 20,388 तथा ग्राम स्तर पर 48,503 प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया गया।

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