शहर में हो रही शराब की होम डिलीवरी

प्रतीक पाठक, नर्मदापुरम
आदर्श चुनाव आचार संहिता पर भारी आबकारी और पुलिस के अधिकारी
बाहर के जिलों से आ रही शराब पर कार्रवाई
केवल कच्ची और घर में बनाने वाली शराब पर फोकस
नर्मदापुरम।
लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लग चुकी है।‌ प्रदेश भर में पुलिस और आबकारी विभाग के मैदानी अधिकारी कर्मचारी एक्शन में है लेकिन नर्मदापुरम जिला मुख्यालय का आबकारी अमला पुराने ढर्रे से बाहर आने के लिए तैयार नहीं है। शहर में शराब की कोई दुकान नहीं है। शराब दुकान का लायसेंस देने के लिए आबकारी विभाग ने शासन द्वारा नर्मदा तट से तय दूरी का पालन किया । इस कारण दुकानें शहर से बाहर चली गईं । दूरी के कारण ग्राहकों को आने जाने में दिक्कत हुई तो ठेकेदारों ने शराब की होम डिलीवरी चालू कर दी । पूरे एक वर्ष से जारी होम डिलेवरी सिस्टम अब आचार संहिता लागू होने के बाद भी बदस्तूर जारी है, लेकिन मजाल है कि पुलिस या आबकारी विभाग का अमला डिलेवरी करने वालों की तरफ आंख उठाकर भी देख सके।

ठेकेदार ही करवा रहे होम डिलेवरी
शराब की दुकान आमदौर पर घनी आबादी यानी व्यस्तत चौक चौराहों पर हुआ करती है ताकि ज्यादा से ज्यादा ग्राहक दुकान पर आसानी से आ जाए और बिक्री बढ़े, लेकिन दुकानें खोलने का ट्रेंड शासन ने बदल दिया और नर्मदा तट या उसके आसपास शराब दुकान खोलने पर पाबंदी लगा दी और दुकान खोलने के लिए नर्मदा तट से दूरी तय कर दी। इसी कारण जो दुकानें शहर के बीचों-बीच बीच खुलती थी अब वह बाहरी इलाको में है। बिक्री में किसी प्रकार की कमी नहीं आए इसलिए ग्राहकों की सुविधा के लिए शराब ठेकेदारों ने शराब की होम डिलेवरी चालू करवा दी , जो ग्राहकों को उनके मांग पर शराब उनके घर या बताए स्थान पर पहुंचा देते हैं। यह गोरखधंधा पुलिस और आबकारी अमले की जानकारी में है, लेकिन ठेकेदारों से उपकृत प्रशासन इसकी ओर से जानबूझ कर आंखें फेरे हुए है।

चुनाव आयोग के डर से दिखावे के लिए की जा रही छोटी मोटी कार्रवाई
प्रदेश में आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू है। चुनाव आयोग का डंडा और झंडा चारों तक घूम रहा है। चुनाव आयोग के डर से पुलिस और आबकारी विभाग दिखावे के लिए छोटी मोटी कार्रवाई जरूर कर रहे हैं ताकि जानकारी चुनाव आयोग को भेजकर अपनी सक्रियता दर्शा सकें , लेकिन वास्तव में देखा जाए तो शराब की होम डिलेवरी पर कोई रोक नहीं है। बाहर से खुद के पीने के लिए लाने वाले इक्का दुक्का लोगों को पकड़कर कार्रवाई का ढिंढोरा पीटा जा रहा है जबकि होम डिलीवरी पहले की तरह जारी है।
ठेकेदारों को छूट, गांव वालों की
कच्ची शराब जब्ती पर फोकस,
आचार संहिता के दौरान कार्रवाई के लिए आबकारी और पुुलिस विभाग ने ग्रामीण इलाकों में खुद बनाकर खुद पीने या थोड़ी बहुत बेचने के लिए भी शराब बनाने वाले भील भिलाला, आदिवासी और अन्य ग्रामीणों पर फोकस कर रखा है। नदी के किनारे या गांवों के सुनसान इलाकों अथवा घरों में बनाई जाने वाली कच्ची शराब जब्त की जा रही है जबकि शहर में होम डिलीवरी के लिए ठेकेदारों को पूरी छूट दे रखी है।

दूसरे जिले से शराब आई तो ही पकड़ी जाएगी
जिला मुख्यालय पर जिन ठेकेदारों ने दुकानें नीलाम करवाई है उनकी शराब खुलेआम अवैध तरीके से बिक रही है। पुलिस और आबकारी विभाग का पूरा फोकस दूसरे जिले यानि अन्य ठेकेदार की शराब पर है। बाहरी जिले से कोई शराब लेकर आता है तो ठेकेदार के मुखबिर इस पर नजर रखते हैं और इसकी सूचना आबकारी और पुलिस को देते हैं तो कार्रवार्ई कर प्रशासन अपनी पीठ थपथपा लेता है जबकि हकीकत यह बाहर लाई गई शराब को पकड़वाने वाले ठेकेदार के गुर्गों का पूरा रोल रहता है।

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