कोर्ट ने जुर्माना सहित राशि लौटाने का SBI को दिया आदेश

सोमेश तिवारी, संपादक

इंदौर ।

जिला उपभोक्ता आयोग ने धर्मेंद्र मेहता, हेमा मेहता, अनूपचंद मेहता निवासी यशवंत निवास रोड इंदौर  की याचिका पर ब्रांच मैनेजर स्टेट बैंक ऑफ इंदौर(अब भारतीय स्टेट बैंक ), वल्लभ नगर के खिलाफ फैसला दिया है।

धर्मेंद्र के पिता अनूपचंद मेहता व हेमा मेहता के संयुक्त नाम से बैंक में दिसंबर 2006 में लॉकर लिया गया था 2 फरवरी 2008 को बैंक अधिकारी खाडेकर ने फोन पर हेमा मेहता की बताया कि उनका लॉकर अधखुला है। हेमा तुरंत बैंक गई, उनके सामने लॉकर खोला तो उसमें गहने व नकदी नहीं मिले। परिवादी का कहना था कि लॉकर में करीब 231 ग्राम सोने के जेवर व आठ हजार रुपए थे। उन्होंने जेवरात व नकदी की मांग की तो बैंक ने जांच की बात कही। बैंक ने कहा था कि आवश्यकता होगी तो पुलिस को शिकायत करेंगे।

हालांकि बैंक ने उनको कोई हर्जाना नहीं दिया। इस पर उन्होंने 10 मई 2008 को तुकोगंज थाने में शिकायत की। बाद में करीब 3 लाख 46 हजार 500 मूल्य के जेवर दिलाने के लिए परिवाद प्रस्तुत किया। परिवाद के दौरान बैंक की ओर से किसी भी क्षति का दायित्व नहीं होने की बात कही गई।

आयोग ने परिवादी की संपत्ति के एवज में तत्समय मूल्य 3 लाख 46 हजार 500 रुपए पर 2 फरवरी 2008 से एक माह में 12 प्रतिशत की दर से ब्याज सहित अदा करने के निर्देश दिए। यह राशि तत्समय लॉकर की सुरक्षा में तैनात बैंककर्मियों के वेतन से प्रदान की जाए। यदि सेवानिवृत्त हो गए हों तो राशि बैंक अदा करेगा। मानसिक त्रास के क्षति स्वरूप 50 हजार व परिवाद खर्च 10 हजार रुपए भी अदा करें।

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